Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 15

भाग 15


उनकी उम्मीदों पर खरा उतरते-उतरते कहीं मेरी उम्मीदें जिंदगी से खत्म ना हो जाए। तुम्हें सिर्फ इसलिए गलत ठहराना कि तुमने दूसरी जाति के होते हुए उनके ब्राह्मण बेटे से प्यार करने का जुर्म किया है। मैं सिर्फ इतना याद रखना चाहता हूँ कि ब्राह्मण होने से पहले मैं इंसान हूँ। मैंने कह दिया है मेरा फैसला अब किसी भी शर्त पर बदलेगा नहीं। जिसको जो करना है कर ले।

तुम्हारे मम्मी पापा को मालूम है क्या हमारे बारे में?

अदिति…..हाँ मैंने बता रखा है उन्हें तुम्हारे बारे में और बाकि सब मुश्किलों के बारे में। मेरे मम्मी पापा को मेरे फैसले पर पूरा भरोसा है। उनका भी प्रेम विवाह था इसलिए वो हमारी स्थिति समझते हैं। कभी वो भी इन परिस्थितियों से गुज़रे थे। वो तुमसे मिलना चाहते हैं।
आदित्य को ख़ुशी होती है अदिति की बात सुनकर। वो कहता है ठीक है जल्द मिलने का प्रोग्राम बनाता हूँ।

अदिति पूछती है किस गाल पर पापा ने थप्पड़ मारा था।
आदित्य….दायीं गाल पर।
अदिति आदित्य के करीब आकर उसके गाल पर अपना प्यार भरा स्पर्श रखती है। उसके गाल को छूकर देखती है और कहती है बहुत दर्द हुआ होगा ना तुम्हें?
आदित्य... तुम्हारे स्पर्श ने मरहम का काम किया है। अब और अलग नहीं रहा जाता अदिति। मन करता है जल्दी से शादी कर लूँ तुमसे।
अदिति हँसते हुए कहती है….पापा का थप्पड़ भूल गए क्या?

आदित्य भी हंसते हुए जवाब देता है थप्पड़ खाने का ईनाम अगर तुम यूँ ही देती रहोगी गालों पर तो पापा को कह दूँगा और मार लो, जख्मों की दवाई आपकी बुआरी के पास है। बुआरी का मतलब गढ़वाली में बहू होता है।

अदिति कहती है चलो कुछ खाते हैं अंदर जाकर। अदिति जैसे ही उठती है आदित्य पीछे से उसके साथ खड़ा हो जाता है और अपनी जैकेट उसे कमर में बांधने के लिए कहता है। वो घबराकर पूछती है क्या हुआ?

आदित्य अदिति के कान में कहता है तुम वॉशरूम होकर आओ, मैं बाहर इंतज़ार करता हूँ।
अदिति आदित्य की आँखों में देखकर समझ जाती है उसके साथ क्या हुआ है।
थोड़ी देर बाद जब वॉशरूम से अदिति बाहर आती है तो वो शर्मिंदगी महसूस कर रही होती है और आदित्य से नजरें चुरा रही होती है।

आदित्य अदिति के सिर पर प्यार से हाथ फेरता है और कहता है यह सामान्य है, ऐसा हो जाता है कभी-कभी। तुम लड़कियों की तो हिम्मत है जो हर महीने इतना दर्द सहती हो।
दर्द तो नहीं हो रहा ना तुम्हें?

अदिति ना में सिर हिलाती है और एकटक आदित्य को देखती रहती है। मन में उसके एक ही ख्याल आ रहा होता है कि आदित्य को उसकी हर तकलीफ का कितना ख्याल है। उसका मन आदित्य के लिए असीम प्यार और आदर से भर जाता है।
तभी आदित्य कहता है….तुम्हारी बिंदी शायद गिर गयी है कहीं, दूसरी है बैग में तो लगा लो।
अच्छा लाओ मैं लगा देता हूँ।
आदित्य का अदिति की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना अदिति को आदित्य के लिए पागल करता जा रहा था।

अदिति आदित्य से कहती है तुम मेरा इतना ख्याल रखोगे, मुझसे इतना प्यार करोगे, मुझे अंदाजा नहीं था।

आदित्य….सच कहूँ तो मुझे भी नहीं पता था कि मैं कभी किसी से इतना प्यार करूँगा। तुम मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लगने लगी हो। तुम को लेकर मैं बहुत जज़्बाती हो गया हूँ। अदिति मैं सोच रहा हूँ हम किराये पर छोटा सा फ्लैट ढूंढना शुरू कर देते हैं ताकि जल्द से जल्द शादी कर सकें। मेरे माँ बाप तो मानने वाले हैं नहीं तो बेकार में उनकी रजामंदी के इंतज़ार में अपना समय क्यों खराब करें?
अदिति….ठीक है तुम पापा से तो मिल लो पहले।

दो दिन बाद आदित्य शाम को ऑफिस से घर आकर, फटाफट तैयार होकर बाहर जा रहा होता है कि तभी पापा पूछते हैं कहाँ जा रहा है तू?
आदित्य….अपने ससुर से मिलने जा रहा हूँ। आप चलेंगे क्या साथ में?

पापा चिल्लाते हुए कहते हैं…..जा कर ले अपनी शादी अपने आप, तू तो वैसे भी हमारे लिए ना होने के बराबर है। आकाश की शादी के बाद अपना बोरिया बिस्तरा उठा और चलता बन यहाँ से। मम्मी मुझे अपनी जिद छोड़ने के लिए कहती है पर अब साँसे छूट सकतीं थी जिस्म से, लेकिन अदिति नहीं।

आदित्य अदिति के घर जाता है मिलने उसके मम्मी पापा से। बहुत ही अच्छा घर होता है अदिति का। एकदम खुला-खुला खूब सारी खिड़कियों वाला। अदिति के पापा आदित्य से उसकी पढ़ाई और नौकरी के बारे में पूछते हैं। साथ ही परिवार वालों के बारे में भी सवाल करते हैं।

आदित्य सब सच-सच बता देता है। अदिति के पापा एक दोस्त की तरह बात करते हैं और इस तरह से शादी करने की हर अच्छी और बुरी बात उसे बताते हैं।

आदित्य उनसे बहुत प्रभावित होता है और एक ही बात कहता है मेरे माता पिता चाहे कितने भी नाराज़ रहें मुझसे लेकिन मेरा जो भी फ़र्ज़ है उनके प्रति वो मैं और अदिति हमेशा निभाते रहेंगे।

अदिति के पापा यह सुनकर बहुत खुश होते हैं और वो कहते हैं तुम दोनों को मकान किराये पर लेने की ज़रूरत नहीं है, चाहे तो तुम दोनों यहाँ हमारे साथ रह सकते हो। वैसे भी अदिति हमारी एकलौती बेटी है, हमारा सब कुछ उसी का तो है।

आदित्य कहता है……  मैं चाहता हूँ कि अदिति और मैं अपने जीवन की शुरुवात अपने दम पर करें। इससे बेहतर है कि आप इसी अपार्टमेंट में हम दोनों के लिए फ्लैट किराये पर देख लें। इससे हम लोग आप के करीब भी रह पाएंगे और अपनी जिंदगी अपने ढंग से जी भी पाएंगे।

आदित्य और अदिति के मम्मी पापा के बीच में रिश्ता जुड़ने से पहले एक रिश्ता जुड़ गया था विश्वास का।


आदित्य और उसके भाई आकाश के बीच में भाई से ज़्यादा दोस्ती का रिश्ता था। आकाश अपने मम्मी पापा के सामने तो आदित्य  का खुलकर साथ नहीं दे पाता था, लेकिन छिपकर वो उसका पूरा साथ दे रहा था।
आदित्य ने आकाश को बता दिया था कि अदिति के पापा से उसकी बात हो गयी है। उसने उन्हें अदिति और उसके लिए किराये पर फ्लैट ढूंढने के लिए कहा है।

आकाश अपनी होने वाली पत्नी नेहा को आदित्य और अदिति के बारे में बता देता है और वो कहता है कि मम्मी पापा तो उसकी शादी में जायेंगे नहीं। ऐसी स्थिति में बड़े भाई और भाभी होने के नाते हम दोनों को ही उन दोनों का साथ देना होगा। नेहा कहती है कि वो एक बार आदित्य और अदिति से मिलना चाहती है। कुछ दिन बाद आकाश-नेहा और आदित्य-अदिति चारों बाहर लंच पर मिलते हैं।

आकाश पूछता है….शादी कब करने वाले हो तुम दोनों?
आदित्य….आपकी शादी के बाद एक महीने के अंदर-अंदर हम भी शादी कर लेंगे, बस घर फाइनल हो जाये एक बार।

नेहा….हम दोनों तुम लोगों के साथ है। तुम्हें कोई भी परेशानी हो अदिति तुम मुझे किसी भी वक़्त फोन कर सकती हो। मैं चाहती हूँ तुम मुझे जेठानी से ज़्यादा अपनी बड़ी बहन समझो।

यह सुनकर अदिति के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो कहती है….भैया-भाभी आपके हमारे साथ होने से मुझे ऐसा लग रहा है जैसे अब हम अकेले नहीं है। मुझे उम्मीद है एक दिन मम्मी पापा भी मुझे अपना लेंगे।

यह सुनकर आदित्य गम्भीर होकर कहता है…..इतनी उम्मीदें मत पालो। जब मैं इतना जिद्दी हूँ तो सोच लो वो कितने जिद्दी होंगे।

आकाश हँसते हुए कहता है…..हाँ अदिति जिद के मामले में पापा और यह एक जैसे ही हैं। पर वक़्त का कुछ भरोसा नहीं, कुछ भी हो सकता है।
चारों मिलकर लंच करते हैं एक परिवार की तरह।

❤सोनिया जाधव

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